20+ अपनों के लिये शायरी और स्टेटस ||अपनों की याद शायरी || apno ke liye shayari and status
Mukul Saini मई 07, 2021
अपनों के लिये शायरी :- जिन्दगी में अपने और अपनों का प्यार बहुत ही जरूर है और आज उन्ही अपनों की याद में हमने कुछ बेहतरीन शायरियां लिखी है जिनके लिए हम आशा करेंगे की वो आपको पसंद आयें।
रुकी रुकी-सी जिन्दगी अब चल पड़ी है
शायद ये किसी अपने की दुआ का असर है।
जख्म भरे दिल में भी बहार लायेगी
अपनों की मोहोब्बत……..
बस जिन्दगी में प्यार लायेगी।
अपनों की याद में अपनों के लिए शायरी || apno par shayari and status
हर याद जिन्दगी की अब भुलाई नहीं जाती
और अपनों से दुश्मनी कभी निभाई नहीं जाती।
गमों के हर पल हम ख़ुशी से जिया करते है
और ख़ुशी के पल में हम अपनों को याद किया करते है।
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रिश्तों में अपनेपन का स्वाद चाहती है जिंदगी
दिल में मोहोब्बत और मीठा प्यार चाहती है जिन्दगी
चेहरे पर हंसी और आँखों में नमी
शायद किसी अपने की याद आ गयी फिर।
कुछ ख़मियाँ है शायद मुझमे तभी
कोई अपना अब मुझे याद नहीं करता।
अपनों की साजिशों से परेशान शायरी
अपनों की साजिशों से परेशान जिन्दगी
गैरों से पूछती है तरीका निजात का……- अज्ञात
साजिशें हजार हुई जिन्दगी में मगर
हर साजिश में हाथ अपनों का रहा।
अपनों की आड़ लेकर ये गैरों सी नफरत दिखाते है
कुछ अपने अपने हो कर भी जख्म दे जाते है।
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छूट गये हर रिश्ते जिन्दगी की दौड़ में
क्यूंकि अब अपने ही लगे है अपनों होड़ में।
जख्म भरे दिल से पूछो की
कितनी साजिशों में उसने अपनों को पाया है
अपनों को भुला कर तुम भी जी नहीं पाओगे
रोओगे जिन्दगी भर मगर किसी से कह नहीं पाओगे।
पत्थर दिल भी पिघल जायेगा
जब हर बिछड़ा अपनों संग मिल जायेगा।
एक चाहत उस खुदा को पाने की है
और दूजी हर बिछड़े अपनों की मिलाने की है।
जल जाते है वो नफरत में जलते जलते
बदल जाते है अपने वक्त बदलते बदलते।
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जिन्दगी में वो पहले और सब बाद में
बीतता है हर लम्हा अब बस अपनों की याद में।
गैर आते है मगर सपनो में
और प्यार मिलता है सिर्फ अपनों में।
बिछड़ा गर में उनसे तो कभी जी ना पाउँगा
रूठे हर अपने को अब बस में मनाऊंगा।
नजअंदाजगी अपनों की अब खल-सी रही है
नज़रे उनकी अब मुझे देख थोड़ी जल-सी रही है।
गमों भरा हर पल अब जिन्दगी में बसा है
क्यूंकि दुनिया का हर अपना अपनों की साजिशों में फसा है।
शायद जिन्दगी को ख़ुशी बर्दास्त नहीं
तभी बार अपनों से रूठ जाती है ये
मेरा नाम हुआ जो ऊँचा ये कुछ लोगो की मेहरबानी है कोयले में पड़े इस हीरे की मेरे अपनों ने क़दर जानी है।
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